Wednesday 21 January 2015

Based on the true story of patient event


समस्याएं :  पूरे शरीर में दर्द होना.
                   सांस लेने में परेशानी.
        - यह सभी समस्याएं महीने से हो रही है.


मरीज के अनुसार :
                              मैं एक मजदूर हुँ. खेतों में हल चलता हुँ. मेरा जीवन काफी सादगी भरा है. मेरे दो बच्चे है. मेरा बचपन ना बुरा था और ना ही बहुत अच्छा था. सामान्य ही था. मेरे पिता और माता जी भी खेतो में मजदूरी करते थे. मैंने घर में सबसे बड़ा था. माता पिता को ऐसे काम करता देख कर मैंने पढ़ाई छोड़ दी और काम में हाथ बटाने लगा अपनी एक भाई और दो बहिन को पढ़ाई करवाई मेरा छोटा भाई और सबसे छोटे बहन पढ़ाई करने में होशियार थे. साल 1974 में पिता जी देहांत हो गया. पिता जी को ह्य्द्रोकोडोने की समस्या थी. उस समय मेरी उम्र 18 साल थी. पुरे परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर गई तो मेरी मुझसे छोटी वाली बहन ने भी पढ़ाई छोड़ कर काम में मेरा हाथ बटाने लगी थी. अब मैंने मेरी बहन ने और मेरी माँ ने घर को चलाने जिम्मेदारी उठा ली सब कुछ ठीक चलने लगा था फिर जब थोड़ा बहुत पैसा जोड़ गया तो मुझसे छोटी बहन की शादी कर दी. फिर उसकी जगह मेरे भाई ने काम करना शुरू किया वो पढ़ा लिखा था इस लिए उसको एक ऑफिस में काम मिल गया और परिवार में कोई समस्या आये बिना सब ठीक चलता रहा. 28 या 29 साल की उम्र में मेरी भी शादी हो गई . परिवार पूरा लगने लगा मेरी पत्नी के रूप में मुझे समझने वाला हमसफ़र मिल गया था अब सब कुछ ठीक था. मेरी शादी की बाद मेरी सबसे छोटी बहन की शादी भी हम सबने धूमधाम से की थी. बहन के जाने के बाद घर खाली खाली लगने लगा तो मेरी माँ ने मेरे भाई की शादी भी तय कर दी कॉलेज पूरा होने के बाद जब भाई की जॉब लग गई तो उसकी शादी कर दी. हम सब ख़ुशी ख़ुशी साथ रहते थे पर मेरे भाई का ट्रांसफर भोपाल में हो गया तो वो अपनी पत्नी के साथ भोपाल शिफ्ट हो गया. घर में मेरी माँ और मेरी पत्नी थे भाई के घर से जाने के कुछ ही दिनों बाद मेरे घर में लड़का हो गया 2 साल बाद ही एक और लड़का हो गया. 36 साल की उम्र में पहुंच कर मैं अपने निजी घर को बना पाया था. जबकि मेरा जन्म किराय के मकान में हुआ बचपन भी वहीँ बीता और शादी तक किराय के मकान में हुई थी. मेरी माँ इस कामयाबी से बहुत खुश थीं साथ ही उन्हें ख़ुशी थी की मैंने अपनी जिम्मेदारिया निभाई. हमारे परिवार में कभी लड़ाई झगड़ा नही हुआ. छोटा भाई भी ख़ुशी से अलग हुआ और माँ ने मेरे साथ रहने का फैसला किया सब कुछ ठीक चल रहा था साथ ही उम्र भी बड़ रही थी. दिन रात काम करने से शरीर में दर्द की समस्या रहने लगी तो में कभी दर्द निवारक दवा खा लिया करता था तो कभी दर्द निवारक तेल की मालिश करवा लिया करता था. मेरी माँ को मोतियाबिंद की समस्या थी जिसके इलाज़ स्वरुप इनकी दोनों आँखों का आपरेशन हो गया है अब यह बिलकुल ठीक रहने लगी थीं. 47 साल की उम्र में मुझे हर कभी पेट में नीचे की तरफ साइड में दर्द होना शुरू हो गया था दर्द बहुत होता था तो पास की दवाखाने ने जाकर दर्द की दवाई ले आता था ऐसा 1 साल तक चलता रहा फिर 49 साल की उम्र में जब पूरी तरह जांच करवाई तो हर्निया की समस्या का पता चला तो इसका ऑपरेशन करवा लिया था उसके बाद कोई समस्या नही हुई बस शारीरक दर्द की समस्या रहती थी थकवान रहती थी. साल 2009 में मेरा छोटा भाई भी शांत हो गया उसको डाइबिटीज की समस्या थी. 55 - 56 की उम्र से मुझे ज़्यादा थकान महसूस होती थी और सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगी थी मुझे लगता था की ये ज़्यादा सर्दी की वजह से होता है पर अभी 59 साल की उम्र में साल 2014 की सर्दियों में समस्या ज़्यादा हो गई जिस लिए भोपाल के जे. के. अस्पताल में इलाज़ के लिए भर्ती हुआ हूँ.

मरीज़ से सम्बंधित रिकॉर्ड को  देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : A 59 year old man with breathless ness since 2 month

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